चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है…” “कभी तन्हाई में भी आंसू छलक आते हैं, जिनसे दिल की बात कहें, वही बिछड़ जाते हैं।” غزل: بلکتے بچوں کو جا کے دیکھوں بِلکتے بچوں کو جا کے دیکھوں، بے گور لاشے اُٹھا کے دیکھوں उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ https://youtu.be/Lug0ffByUck