सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। विकट रुप धरि लंक जरावा॥ ओम् ऐं ह्रीं हनुमते रामदुते लंकविधवंसने अंजनी गर्भ सम्भुतय शकिनि डाकिनी विध्वंसनाय किलकिली बुबुकरेन विभीषण हनुमददेवय ओम ह्रीं ह्रीं हं फट् स्वाहा लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥ जुग सहस्र जोजन पर भानु । अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥ महाबीर बिक्रम https://kylertwunk.ttblogs.com/15271950/hanuman-mantra-things-to-know-before-you-buy